रविवार, 22 नवंबर 2009

ग़म का फ़साना मेरा ही है

आपको गौरव याद है ना, क्या कहा आपके भाई का नाम है, दोस्त है आपका, आपकी सहेली के हसबैंड हैं....... जी नहीं बिल्कुल ग़लत, गौरव इनमें से कोई नहीं है; गौरव मेरा वो कहानी वाला दोस्त है जिसने मेरे लिए अपनी बुरी आदतों को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया था। ये किस्से-कहानियों की दुनिया कितनी अच्छी होती है ना सब कुछ एकदम परफेक्ट....... मगर हक़ीक़त का सामना होते ही सब कुछ बदल जाता है। असल ज़िन्दगी में गौरव क्या पता आपको अब भी सिगरेट पीता हुआ मिल जाए, या फ़िर इससे भी बदतर शराब पीता हुआ। ख़ैर जाने दीजिये दिल का आईना ऐसी कई सच्चाइयों का सामना करता रहता है। दिल को पत्थर का बना कर रखने में भलाई है क्योंकि हक़ीक़त का एक छोटा सा पत्थर भी इस आईने को चकनाचूर कर सकता है....... फ़िर क्या बताएं कि दिल का कोई टुकड़ा यहाँ गिरा कोई वहाँ और इन टूटे हुए टुकड़ों को समेटते हुए कुछ आहें, कुछ सिसकियाँ, कुछ रंज-ओ-ग़म के फ़साने....... ख़ुद ही देख लीजिये.......

जब आसमान पर यदा-कदा,
काली बदली सी छाती है,
और विचारों की आंधी से
दिल की खिड़की खुल जाती है,
दस्तक देता है कोई,
इक बिजली कौंध सी जाती है,
कुछ दर्द उबलने लगते हैं,
और इक कविता बन जाती है।

जब अँधेरी उन गलियों में,
सन्नाटा पसरा होता है,
और दूर-दूर तक वादी में,
ग़म का कोहरा होता है,
तब स्याह उजालों में मेरी,
परछाई खो सी जाती है,
कुछ दर्द सिसकने लगते हैं,
और इक कविता बन जाती है।

जब चलता हूँ मैं दूर तलक,
और कोई साथ नहीं होता,
वादे तो काफ़ी होते हैं,
हाथों में हाथ नहीं होता,
तब बीते उन सब लम्हों की,
याद बड़ी तड़पाती है,
कुछ ज़ख़्म बिलकने लगते हैं,
और इक कविता बन जाती है।

जब हँसते है दुनिया वाले,
मैं भी हंसकर दिखलाता हूँ,
चेहरे की उसी बनावट में,
अपने ग़म को झुठलाता हूँ,
जब किसी खुशी के मौके पे,
आँखें साग़र छलकाती हैं,
कुछ मोती ढलने लगते हैं,
और इक कविता बन जाती है।

19 टिप्‍पणियां:

  1. जब अँधेरी उन गलियों में,
    सन्नाटा पसरा होता है,
    और दूर-दूर तक वादी में,
    ग़म का कोहरा होता है,
    तब स्याह उजालों में मेरी,
    परछाई खो सी जाती है,
    कुछ दर्द सिसकने लगते हैं,
    और इक कविता बन जाती है।
    लाजवाब रचना है एक एक शब्द दिल को छू लेने वाला । पहली बार ब्लाग देखा है और शायद अब हमेशा ही देखना पडेगा इतना सुन्दर लिखा है बधाई और शुभकामनायें

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  2. Kya baat hai Prashant sahab!! Bahut hi sundar rachna hai..Aapke 'vicharon ki aandi' yahan mausam ko suhana kar gayi.. bhale ye dard ki aandhi rahi ho..

    Bahut achcha..

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  3. जब हँसते है दुनिया वाले,
    मैं भी हंसकर दिखलाता हूँ,
    चेहरे की उसी बनावट में,
    अपने ग़म को झुठलाता हूँ,
    जब किसी खुशी के मौके पे,
    आँखें साग़र छलकाती हैं,
    कुछ मोती ढलने लगते हैं,
    और इक कविता बन जाती है ...

    बहुत खूब ......... कमाल की अभिव्यक्ति है .......... बहुत दर्द, बहुत गहरे एहसास हैं ,......... कमाल की रवानी है इस नज़्म में ........
    बहुत खूब लिखते हैं आप सर जी,,,..

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  4. बेनामी1 मई 2014, 11:37:00 pm

    बहुत खूब ......... कमाल की अभिव्यक्ति है .......... बहुत दर्द, बहुत गहरे एहसास हैं ,......... कमाल की रवानी है इस नज़्म में ........
    बहुत खूब लिखते हैं आप सर जी,,,..

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  5. Kuch khwab churaye honthon ke .kuch pattey bahake kothon per,suna sa galiyaraa kahta,aj fiir akela gaye ja jeevan k geet sunaye ja,kuch karke sanyam so ja tu...ek shoonya sa jeevan mat khona tere hisse ka ye hi hai sona

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  6. Kuch khwab churaye honthon ke .kuch pattey bahake kothon per,suna sa galiyaraa kahta,aj fiir akela gaye ja jeevan k geet sunaye ja,kuch karke sanyam so ja tu...ek shoonya sa jeevan mat khona tere hisse ka ye hi hai sona

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  7. I am extremely impressed along with your writing abilities, Thanks for this great share.

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  8. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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