अपनी बात

शनिवार, 25 अप्रैल 2009

हमसफ़र यादों का....... एक कोशिश, एक शुरुआत है उन बीते हुए कुछ लम्हों को वापस ले आने की जो वाकई यादगार हैं, हसीन हैं और दुबारा जीने लायक हैं। एक माध्यम है उन यादों को समेट लाने का जो जीवन के सफर में कहीं छूट गई हैं, एक ज़रिया है अपने मन की वो अनकही बातें बयाँ करने का जो कहीं मन की गहराइयो में दबी रह जाती हैं और समय के साथ-साथ धूमिल होती जाती हैं या फ़िर खो जाती हैं। एक मंच है बदलते हुए समाज और सामाजिक परिदृश्यों में पनपती संकीर्णता, कुरीतियों एवं अन्य बुराइयों पर चोट करने का। काफी समय से सोच रहा था कि क्यों न अपना भी एक ब्लॉग हो जहाँ पे अपने विचार व्यक्त किए जा सकें, खुलकर दिल का गुबार निकाला जा सके। इसी सोच इसी जज़्बे के तहत ये ब्लॉग शुरू कर रहा हूँ, आशा है आप सभी को पसंद आएगा।

चलिए ब्लॉग शुरू करने का तो सोच लिया परन्तु सामने एक सवाल अब भी शेष था कि ब्लॉग के लिए किस भाषा का चयन किया जाए....हिन्दी या अंग्रेजी ? काफी मित्रों एवं परिचितों से विचार- विमर्श किया तो कुछ ने हिन्दी लेकिन अधिकाँश ने अंग्रेजी का सुझाव दिया। अब चयन का सारा जिम्मा मेरे ऊपर था। काफी सोच-विचार के बाद इस निष्कर्ष पर पहुँचा कि हिन्दी ही मेरे ब्लॉग के लिए उपयुक्त रहेगी क्योंकि वर्तमान समय में जब कि अंग्रेजी हम पर कुछ ज्यादा ही हावी हो चुकी है हमें अपनी मातृभाषा के उत्थान के लिए कुछ न कुछ करना होगा (शायद एक-आधा ब्लॉग लिखना ही इस दिशा में पर्याप्त न हो किंतु एक शुरुआत तो की ही जा सकती है)। और सबसे बड़ी बात अपनी मातृभाषा में लिखने में एक अलग ही मज़ा है। सच पूछिए तो हिन्दी मेरी रग-रग में बसी है और हिन्दी में लिखने में मुझे जो सुकून मिलता है वो शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता। मेरी इन बातों से आप कतई ये अंदाजा न लगा बैठिएगा कि मैं अंग्रेजी विरोधी हूँ या मेरा मक़सद भाषावाद को बढ़ावा देना है। जहाँ तक अंग्रेजी में लिखने की बात है तो आपकी जानकारी के लिए बताना चाहूँगा कि अंग्रेजी में Kaavyansh : my diary of poems के नाम से ब्लॉग लिखता हूँ।

पिछले कुछ समय में हिन्दी ब्लॉग लेखन में काफी तरक्की हुई है। आज से दो साल पहले तक जहाँ हिन्दी में गिने-चुने ब्लॉग ही दिखाई पड़ते थे वहीं अब स्तिथि बहुत बदल गई है। हिन्दी में स्तरीय ब्लॉग लेखन में इजाफ़ा हुआ है। इसी कड़ी में शामिल करते हुए एक और नाम, हमसफ़र यादों का.......करता हूँ आप के नाम

शेष फ़िर!!!

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7 टिप्पणियाँ
अनिल कान्त ने कहा…

आपका और आपके इस ब्लॉग का स्वागत है ...

मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

आप ने बहुत सही फैसला लिआ है। यदि आप अग्रेजी भाषा के अच्छे ्जानकार हैं तो अग्रेजी मे लिखे उपयोगी लेखो को हिन्दी में अनुवाद कर हिन्दी भाषीयों के लिए उपलब्ध् कराएं।जिस से हिन्दी भाषीयो को लाभ हो सकेगा। धन्यवाद।
आप का स्वागत है।

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर ने कहा…

aashirvad vts, narayan narayan

ghughutibasuti ने कहा…

आपका हार्दिक स्वागत है। आपका परिचय भी पढ़ा। मैंने आपके ही शहर से एक जमाने पहले पढ़ाई की थी। आपसे मिलकर व आपके ब्लौग पर आकर अच्छा लगा।
घुघूती बासूती

rani kumari ने कहा…

कभी-कभी
जब मैं सोचता हूँ,
अकेले में,
उदासी में,
तो ना जाने क्यूँ
एक चिंगारी
भड़क जाती है जहन में,
एक धुआं सा उठता है,
एक आग जो
दबी पड़ी थी किसी कोने में--------www.shayarihishayari.com

Daisy ने कहा…

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Daisy ने कहा…

Promise Day Gifts Online
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