कविता : रिश्तों का सूखा सावन
सोमवार, 10 अगस्त 2009ये बारिश मुझे कुछ याद दिलाती है,
यादें उन दिनों की, उन बीते लम्हों की,
जब हुआ करती थी बेफ़िक्री मन में,
चटकती थीं कलियाँ वन-उपवन में,
सावन भी झूम-झूम आता था और,
सबकी प्यास बुझे इतना पानी बरसाता था।
मगर अब तो सावन कहाँ आता है,
बस आने की उम्मीद में तरसाता है,
कब आया और चला गया नहीं मालूम,
बचा है बस औपचारिकताओं का हुजूम,
वक्त नहीं किसी को बाट उसकी जोहने का,
सावन का काम नहीं अब मन मोहने का।
गुज़र चुका जो वक्त वो लौटाऊँ कैसे,
वो सावन का आकर्षण वापस लाऊँ कैसे,
सूखे दिल, सूखी अँखियाँ, रिश्तों में भी सूखापन है,
सूखे सुमन, सूखी कलियाँ, सूखा-सूखा मन-उपवन है,
सोचता हूँ सूखेपन की बारिश से छिपकर,
इन सावनी फुहारों में भीग जाऊं कैसे।
11 टिप्पणियाँ
- वाणी गीत ने कहा…
-
जब सावन बरसे बिना ही गुजर गया तो ऐसी प्रतिक्रिया स्वाभाविक है ...मगर ...
सावन आये या ना आये जिया जब झूमे सावन है ... - 10 अग॰ 2009, 7:35:00 am
- Mithilesh dubey ने कहा…
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मगर अब तो सावन कहाँ आता है,
बस आने की उम्मीद में तरसाता है,
दुःख तो होगा हि ना। - 10 अग॰ 2009, 9:48:00 am
- परमजीत सिहँ बाली ने कहा…
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बहुत बढिया रचना है बधाई।
गुज़र चुका जो वक्त वो लौटाऊँ कैसे,
वो सावन का आकर्षण वापस लाऊँ कैसे,
सूखे दिल, सूखी अँखियाँ, रिश्तों में भी सूखापन है,
सूखे सुमन, सूखी कलियाँ, सूखा-सूखा मन-उपवन है,
सोचता हूँ सूखेपन की बारिश से छिपकर,
इन सावनी फुहारों में भीग जाऊं कैसे। - 10 अग॰ 2009, 11:19:00 am
- बेनामी ने कहा…
-
कविता : रिश्तों का सूखा सावन
ये बारिश मुझे कुछ याद दिलाती है,
यादें उन दिनों की, उन बीते लम्हों की,
जब हुआ करती थी बेफ़िक्री मन में,
चटकती थीं कलियाँ वन-उपवन में,
सावन भी झूम-झूम आता था और,
सबकी प्यास बुझे इतना पानी बरसाता था।
आदमी और सावन का रिश्ता इस साल सूखा ही दिख रहा है. बहुत ही बढ़िया रचना - 10 अग॰ 2009, 12:20:00 pm
- ओम आर्य ने कहा…
-
bahut hi sundar rachana .....bahut hi sundar
- 10 अग॰ 2009, 12:26:00 pm
- दिगम्बर नासवा ने कहा…
-
सच में जब वो पास न हों........... तो ये सावन, मौसम कुछ भी मन को नहीं भाता............ प्रीत और विरह की सुन्दर abhivyakti है
- 10 अग॰ 2009, 1:58:00 pm
- Chandan Kumar Jha ने कहा…
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बहुत ही सुन्दर रचना.....बेहतरीन अभिव्यक्ति.
- 10 अग॰ 2009, 7:31:00 pm
- संगीता पुरी ने कहा…
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सुंदर भाव .. बहुत अच्छी अभिव्यक्ति !!
- 10 अग॰ 2009, 8:29:00 pm
- गौतम राजऋषि ने कहा…
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अहा...बहुत अच्छा लिखा है। बारिश से जुड़ी कितनी ही अपनी यादें उभर आयीं...
- 10 अग॰ 2009, 10:41:00 pm
- singh chaarvi ने कहा…
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VERY NICE....
- 4 जुल॰ 2012, 1:40:00 am
- Daisy ने कहा…
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